Murti Puja | मुर्ति पूजा | उपवास| माला फेरना | सामाजिक एवं वैज्ञानिक तथ्य
मूर्ति पूजा, उपवास एवं माला फेरने संबंधित जानकारी (सामाजिक एवं वैज्ञानिक तथ्यों सहित)
लोग मूर्ति पूजा क्यों करते हैं-
मनुष्य का चंचल मन बङा चलायमान होता है। वह इधर-उधर भटकता रहता है, मनुष्य चाह कर भी अपने चंचल मन की चंचलता को नहीं रोक पाते हैं। मन की चंचलता को स्थिर करने का एकमात्र साधन मूर्ति पूजा ही है। मूर्ति पर दृष्टि रखने से उस मूर्ति के प्रति भावना जागृत होती है, और यह भावना ही मन की चंचलता को केंद्रित करती है। मूर्ति पूजा का प्रचलन हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों में भी है।
जैसे सिख धर्म के लोग गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा करते हैं। ईसाई लोग पवित्र क्रॉस की पूजा करते हैं। मुसलमान कुरान शरीफ को मान्यता देते हैं। एकलव्य ने द्रोणाचार्य को गुरु मानकर उनकी प्रतिमा स्थापित करके बाण विद्या में निपुणता ग्रहण की थी।
इस प्रकार भावना को उभारने हेतु मूर्ति आवश्यक है।
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Murti Puja |
Murti Puja | मुर्ति पूजा | उपवास| माला फेरना | सामाजिक एवं वैज्ञानिक तथ्य
लोग व्रत उपवास क्यों रखते हैं-
धार्मिक व्यक्ति अपने देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए व्रत, उपवास रखते हैं। धार्मिक लोगों का विश्वास है कि देवी देवता प्रसन्न होने पर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण-
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार उपवास रखने से शरीर सौष्टव बनता है। अन्न की मादकता कम होती है। भोजन के बाद आलस्य आता है, कभी कभी पेट में गैस बन जाती है, कभी कभी खट्टी डकार आने लगती है। इन चीजों से छुटकारा पाने के लिए हफ्ते में एक बार व्रत रखते हैं। मोटापा कम करने के लिए भी मनुष्य उपवास ररखते है।
लोगों के माला फेरने का कारण-
माला एक पवित्र वस्तु है। यह शुद्ध तथा पवित्र वस्तुओं द्वारा बनाई जाती है। इसमें 108 मनके होते हैं। ये 108 मनके साधक को जप की संख्या की गणना करने में सहायक होते हैं। इन 108 मनको का भी एक रहस्य है। भारतीय मुनियों ने 1 वर्ष में 27 नक्षत्र बताएं हैं, प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। इस प्रकार 27×4= 108। यह संख्या पवित्र ही नहीं अत्यंत पवित्र मानी गई है।
जब करते समय साधक को होठ एवं जीभ को हिलाना पड़ता है। इससे कण्ठ की ध्वनियां प्रभावित होती है। जिसके कारण साधक को कंठमाला, गलगंड आदि रोग होने की संभावना बनी रहती है। इस प्रकार के रोगों से बचने के लिए औषधि युक्त काष्ट, तुलसी रुद्राक्ष आदि की माला गले में धारण करनी चाहिए।
विभिन्न प्रकार की मालाओं के धारण करने के लाभ
- कमलगट्टे की माला- शत्रु विनाश हेतु
- तुलसी की माला- भगवान विष्णु को प्रसन्न करने हेतु
- हरिद्रा की माला- विघ्न हरण के लिए
- सर्पहड्डी की माला- मारण एवं तामसी कार्यों के लिए
- जीव पुत्र की माला- संतान गोपाल का जप करने के लिए
- कुश-ग्रंथि की माला- पाप नाश करने के लिए
- व्याघ्र नख की माला- नजर एवं टोने टोटके से बचने के लिए
- रुद्राक्ष की माला- दीर्घायु होने के लिए जब महामृत्युंजय का जाप करने हेतु
माला फेरने के लाभ-
माला फेरते समय अंगूठे और अंगुली के घर्षण से एक प्रकार की विद्युत उत्पन्न होती है, जो धमनियों द्वारा होकर सीधी हृदय चक्र को प्रभावित करती है जिससे चंचल मन स्थिर हो जाता है।
एक्यूप्रेशर द्वारा इलाज एक ऐसी विद्या है जो शरीर की विभिन्न नसों से इलाज करने की पद्धति है। विद्वानों ने मनुष्य की नसों का अध्ययन करने के बाद इस विधा का नाम एक्यूप्रेशर रखा। दोनों हाथों की हथेलियों के विभिन्न भागों को दबा-दबा कर शरीर के अन्य भागों का इलाज इस विधा के अंतर्गत किया जाता है।
मध्यमा अंगुली की नस का सीधा संबंध हृदय होता है। इसलिए माला जपते समय अंगूठे के साथ मध्यमा अंगुली का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार जो भी कार्य हमारे धर्म में हमारे पूर्वज करते आए हैं ,वह वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत लाभदायक है।
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