Friday, November 30, 2018

नमस्ते और गुड मॉर्निंग कहना क्यों अनुचित है

 नमस्ते शब्द की रचना संस्कृत भाषा में नम: और ते से हुई है। नम: + ते = नमस्ते। नम: का अर्थ है झुकना और ते का अर्थ है तू।
इस प्रकार तू शब्द बहुत ही अव्यवहारिक शब्द है जो कि सम्मान को ठेस पहुंचाता है। यदि कोई अपने गुरुजन, बुजुर्ग या अपने से उम्र में बड़े व्यक्ति को नमस्ते कहता है तो क्या यह उचित लगेगा या नहीं ?

अभिवादन हेतु गुड मॉर्निंग आदि अंग्रेजी के शब्दों का प्रचलन पाश्चात्य संस्कृति में है। कितने आश्चर्य की बात है कि अभिवादन के इन शब्दों में कहीं भी ईश्वर का नाम नहीं आता है और न ही कृतज्ञता प्रकट होती है, जबकि जय श्री राम, राधे कृष्ण, सीता राम आदि शब्दों के उच्चारण मात्र से ही जीभ पवित्र हो जाती है।
यदि किसी के घर में रात को चोरी हो जाती है या कोई अप्रिय घटना घटित हो जाती है और सुबह उसके घर संवेदना प्रकट करने हेतु जाकर उससे गुड मॉर्निंग कहेंगे तो वह जल भुन कर राख हो जाएगा, क्योंकि उसकी सुबह तो अच्छी की जगह खराब हो गई है इसकी जगह यदि आप राम राम कहेंगे तो सामने वाला प्रेम पूर्वक आपका अभिवादन स्वीकार करेगा।

अभिवादन का सही ढंग-  

अपने गुरुजनों रिश्तेदारों तथा अपने से बड़ी आयु वाले व्यक्तियों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए अपनी हम उम्र के सगे संबंधी तथा मित्रों आदि से मिलने पर देवताओं के नाम का उच्चारण कर हाथ जोड़कर उनका अभिनंदन करना चाहिए जैसे जय श्री राम, जय श्री कृष्णा, जय माता दी, राधे-राधे,  राधे-कृष्णा आदि

ईश्वर का अभिवादन करने का सही ढंग-

 ईश्वर का अभिवादन करने का सही ढंग है कि हम प्रतिदिन वेद पाठ, स्तोत्र पाठ श्रद्धा भक्ति से करें एवं उन्हें साष्टांग प्रणाम करें।
साष्टांग प्रणाम करने से देवी देवता के सामने नेत्र, मस्तक तथा संपूर्ण शरीर झुक जाता है तथा अहम् भावना नष्ट होकर प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाते हैं।

जय श्री राम

Monday, November 26, 2018

जायल रो मायरो

यह बात लगभग 500 साल पहले की है, उस समय नागौर में दो चौधरी रहा करते थे नाम था गोपाल जी और धर्मा जी ।गोपाल जी जायल गांव के बासट कॉम के जाट और धर्माजी खियाला गांव के बिडियासर कॉम के जाट थे।
दोनों चौधरी दिल्ली के सुल्तानों के लिए किसानों से लगान  संग्रहण का कार्य करते थे और हर वर्ष सुल्तान के पास दिल्ली पहुंचाते थे। इस वर्ष भी दोनों चौधरी लगान की सारी रकम ऊंटों पर लादकर सुबह जल्दी जायल से दिल्ली के लिए रवाना हुए शाम होने तक दोनों जायल से लगभग 55-60 कोस दूर जयपुर के पास हरमाड़ा गांव पहुंचे दोनों बहुत थक गए थे और ऊंटों को भी आराम करवाना था इसलिए दोनों हरमाड़ा गांव की सरहद पर कुए के पास रात्रि विश्राम के लिए रुक गए।
हरमाड़ा गांव में इसके अगले दिन गुर्जर जाति की लिछमा नामक औरत की पुत्री का विवाह था लेकिन लिछमा के पीहर में उसका अपना कोई भाई बहन या परिवार वाला नहीं था इसलिए विवाह की पवित्र रस्म भात या मायरा भरने वाला कोई नहीं था। लिछमा की पुत्री के विवाह के साथ साथ उसकी देवरानी और जेठानी की पुत्रियों का भी विवाह था तो लिछमा की सास, देवरानी, जेठानी और अन्य परिवार की औरतों ने लिछमा पर तंज कसे और कहा की भात बिना कोई विवाह संपूर्ण हुआ है क्या हमारे ऐसे दुर्भाग्य है कि तेरे जैसी बहू हमारे परिवार में आई ऐसा दिन दिखाने से पहले मर क्यों नहीं गई इसी तरह सारी बातें सुनकर लिछमा के मन में मरने का ख्याल आ गया और वह पानी लाने का बहाना बनाकर कुए पर चली गई और उसी कुएं पर बैठकर जोर जोर से रोने लगी। उसी कुएं पर दोनों चौधरियों ने अपना डेरा जमा रखा था औरत के रोने की आवाज सुनकर दोनों चौधरी लिछमा के पास गए और बोले अरे बहन ऐसी कौन सी नौबत आई जो तुम इतनी रात गए कुए पर बैठकर रो रही है फिर लिछमा ने दोनों चौधरियों को अपनी पूरी कहानी सुनाई।
चौधरियों ने कहा बस इतनी सी बात और तुम जान देने चली आई आज से हम तेरे धर्म के भाई हैं तू हमारे राखी बांध और हम तेरे भात भरेंगे लिछमा थोड़ी सी विचलित हुई फिर चौधरियों ने कहा लिछमा चीर फाड़ और बांध कलाई पर कल सुबह तेरे भाई भात भरेंगे इस प्रकार चौधरियों की जबान से आश्वस्त होकर लिछमा घर चली गई।
फिर चौधरियों ने सोचा भात भरने का तो बोल दिया और पैसा कहां से लाएंगे पैसा तो सारा बादशाह का है वह भी छोटी मोटी रकम नहीं पूरी 22000 अशर्फियां और इनमें  इन में हेरफेर करना अपनी मौत को बुलावा देना है लेकिन दोनों ने लिछमा को जुबान दे दी थी उन्होंने सोचा की "जुबान देकर नट जाएं, इससे अच्छा है कि कट जाएं" भात तो भरेंगे ही बादशाह जो करेगा देखा जाएगा।
 दोनों जयपुर की ओर रवाना हो गए रात में ही बहुत सारे उपहार वस्त्र आभूषण आदि लिए और सुबह होते होते वापस हरमाड़ा गांव पहुंच गए। सुबह जब गांव वालों को पता चला कि लिछमा के धर्म के भाई आए हैं और भात भी भरेंगे तो सभी आश्चर्यचकित रह गए दोनों चौधरियों ने लिछमा को नौरंगी चुनरी उड़ाई और सभी गांव वालों को उपहार दिए और लगान की पूरी राशि का भात भर दिया इस प्रकार बहन के सम्मान की रक्षा कर दोनों भाई सारी रकम का भात भर के हाथ जोड़कर दिल्ली की ओर रवाना हो गए।
 दिल्ली जाकर बादशाह को सारी कहानी बताई बादशाह ने इस बात की सत्यता की जांच करवाई और बात सही पाई तो वह बहुत खुश हुआ और दोनों को शाबाशी दी और कहा धन्य है वह मां बाप और जमीन जिसने तुम्हें जन्म दिया बादशाह ने खुश होकर उन्हें माफ किया और हजार बीघा जमीन उपहार स्वरूप दी।
इस प्रकार दोनों चौधरी 1000 बीघा जमीन के साथ साथ हजारों वर्षों के लिए अपना नाम कमा लाए
 आज भी राजस्थान में बहने रक्षाबंधन और भात के गीतों में में उनके सम्मान में अपने भाई को उनके जैसा बनने के लिए कहती है
और यह पंक्तियां गाई जाती है
"बीरा तू बन जे जायल रो जाट
 बनजे खियाला रो चौधरी" 

Saturday, November 24, 2018

RRB ALP & TECHNICIAN result

RRB ALP result: Railway Recruitment Board (RRB) of Indian Railways is preparing  revise ALP & TECHNICIANS resultWhen the result will be ready, the same will be released on the official websites of 21 RRBs.
Hii